संप्रेषण की नई प्रवृत्तियां : इमोजी, मीम और ट्रेडिंग शब्दावली का अध्ययन और विश्लेषण

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नीलम राठी

Abstract

यह शोध आधुनिक डिजिटल युग में ‘संप्रेषण की बदलती प्रवृत्तियों’ को समझने का प्रयास है। इसमें यह विश्लेषण किया गया है कि ‘इमोजी’, ‘मीम’ और ‘ट्रेडिंग शब्दावली’ ने संवाद के स्वरूप को एक नया आयाम प्रदान किया है। अब व्यक्ति अपने विचारों और भावनाओं को शब्दों की अपेक्षा प्रतीकों और दृश्य माध्यमों से अधिक सहजता से व्यक्त करता है। “सोशल मीडिया” और “चैटिंग प्लेटफ़ॉर्म” ने संचार को तेज़, सरल और आकर्षक बनाया है। इसके बावजूद, भावनात्मक गहराई में कुछ कमी भी देखी गई है। ‘इमोजी’ ने भावों की तत्काल अभिव्यक्ति का माध्यम दिया है, जबकि ‘मीम’ समाज की आलोचना, व्याख्या और हास्य के प्रभावी उपकरण बन गए हैं। ‘ट्रेडिंग शब्दों’ ने भाषा में आर्थिक दृष्टि और व्यवहारिक सोच का समावेश किया है। इस अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ है कि इन तीनों माध्यमों ने मिलकर संवाद को वैश्विक, रचनात्मक और सहभागी बनाया है। वहीं दूसरी ओर, इस प्रक्रिया में आत्मीयता और मानवीय संवेदना को बनाए रखना आवश्यक है। समग्र रूप से कहा जा सकता है कि तकनीकी संप्रेषण ने भाषा, समाज और संस्कृति के बीच एक नई साझेदारी स्थापित की है, जो मनुष्य को सोचने, जुड़ने और अभिव्यक्त होने का एक नवीन मार्ग प्रदान करती है।

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